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(About UPI In Hindi) Why America Hate India's Upi हिन्दि मे

upi debit card

आजादी के बाद का सबसे बड़ा क्रांतिकारी UPI नाम याद है, ये टैग है जिसने अमेरिका को बुरी तरह से मारा है, ये वो वोट है जिसकी वजह से भारत आर्थिक जगत में डंक मारने वाला है,कैसी है हमारे डिजिटल इंडिया वीसा मास्टर कार्ड की ये पहल  Up जैसी कंपनी कम्पटीशन दे रही है या क्या है, किसने बनाया, क्यों बनाया, भारत का नाम UPI, UPI,

UPI क्यों रखा जा रहा है, अमेरिका क्यों डर रहा है, Visa Master Card की स्थिति क्यों खराब हो रही है, आप  जानिए इस ब्लग में। 


RTGS, IMPS, सब  ये थे सही यूपीआई की जरूरत क्यों नहीं ?


जरूरत के हिसाब से सिस्टम लाया गया, सबसे पहले आरबीआई ने साल 2000 में लाया कि जिस भी व्यक्ति को

2 लाख से ऊपर का ट्रांजैक्शन करना है उसे ट्रांसफर करना है, उसके लिए तुरंत आरटीजीएस लाया  लेकिन

फिर लोगों ने कहा सर अगर आप ₹2 लाख से कम डालते हैं तो क्या करें, RBI ने कहा अरे इन्हें भी

कुछ करना है तो इनके लिए NEFT ले आए, अगर आप ₹2 लाख से कम देना चाहते हैं तो करें, लेकिन  अब

कोई ₹2 लाख से कम दे रहा है, कोई 10000 दे रहा है, कोई 5000 दे रहा है तो भाई क्या करें?  कहां

कम करें, 30-30 मिनट के बैच में करेंगे तो पेमेंट 2 लाख से कम हो जाएगा, लेकिन एक बार मैं नीचे डायरेक्ट नहीं करूंगा, तो 30 मिनट तक इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन फिर डिमांड  जनता का मत था कि मुखिया ₹2 लाख से कम होना चाहिए।  करना है तो आधे घंटे का भी इंतजार नहीं करना है, जल्दी करना है तो आरबीआई ने कहा भाई अगर कुछ करना ही है तो 2008 में आरबीआई ने अलग संस्था बनाई थी एनपीसीआई  National Payment Council of India तो उन्होंने कहा भाई कुछ तो करो फिर बोले दस में एक प्लेटफॉर्म है इसको बनाने लेंगे आधार इस आधार पर ये लोग ट्रांसफर कर सकते हैं तो IMPS आने के बाद आप नीचे Transaction कर सकते हैं  अपने मोबाइल की मदद से तुरंत 2 लाख और आप इसे जल्दी कर सकते हैं।बोले साहब, जब साड़ी सुविधा हो गई, तो जरूर सर, उसमें नकल थी, एक आप व्यापारी को भुगतान नहीं कर पाए, आप ऐसा भुगतान कर रहे हैं।  अब से आप ₹10, ₹20, ₹50 करते हैं वो ये नहीं कर सकते थे,स्कैन करने की सुविधा नहीं थी, दूसरा ये सब करने से पहले आपको फायदेमंद भी जोड़ना होता है,


उसमें आधे घंटे का समय बर्बाद हो जाता है,  तब किसी ने कहा है।  कोई ऐसी चीज हो जिसमें किसी लाभार्थी की जरूरत न हो और यह दुकान पर कपड़े, जूते, कपड़े के भुगतान की मंचीय व्यवस्था है तो यह एनपीटी है, जो 2008 में बनी थी, जिसने आईएमपीएस की शुरुआत की  . कई अपग्रेड वर्जन लॉन्च किए, जिन्हें हम यूपीआई के नाम से जानते हैं, 


इसे रघुराम राजन और दिलीप एस दोनों की दिमागी उपज माना जाता है।अपग्रेड वर्जन साड़ी की बात एक ही है लेकिन इसमें क्या दिया गया है, एक सोशल आईडी बनाई गई है जो  जिसे आपकी यूपीआई आईडी कहा जाता है, उस आईडी के बीच से आप किसी भी व्यक्ति को तुरंत भुगतान कर सकते हैं, आप 24 बार उपभोग कर सकते हैं, कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और मर्चेंट बैंकर किसी से शुल्क नहीं लेगा।  ₹10 जब आप आसानी से ₹5 कर सकते हैं,


अब सर, 2016 में UPI कब लॉन्च हुआ और 2022 में, यह बहुत तेज़ है।  डिजिटल पेमेंट के मामले में दीया बनी दुनिया में नंबर वन,एक महीने में 10 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन करती चली गईं,UPI की वजह से ये कैसे मुमकिन हुआ और क्यों ये इतना पॉपुलर हो गया क्योंकि देखिए पहले ये 20/7 चलती थी ,तुरन्त भुगतान करते थे।  पैसा खर्च नहीं हो रहा था, उसमें इंटरऑपरेबिलिटी का फीचर था, क्या होता है सर, अगर आपके

पास पेटीएम है तो पेटीएम वाला पहले भुगतान कर सकता था, अब मां आप पेटीएम लेकर घूम रही हैं, दुकानदार ने जीपी लगा दी, अब क्या  करोगे? उसने कहा इंट्रोसिबिलिटी है, कोई बात नहीं है, भाई,


पेटीएम से चाय ले आओ, मेरे पास आ जाओ, दोस्त, गूगल पर, गूगल पर, तीसरी साइकिल पर, फोन पर, लेन-देन आसानी से हो जाएगा,और इसका एक रुपया भी खर्च नहीं होगा।  कुछ चीजें हुईं साथ में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जो भले ही सामान्य न हों लेकिन इसका फायदा बहुत जल्दी मिला इसे अगस्त 2016 में कुछ डर के बाद 2016 में लॉन्च किया गया।  इंटरनेट हाथ में दे दिया, सबके पास इंटरनेट है,उसमें और बढ़ावा मिला है ना?  16 नवंबर को सबसे बड़ा बढ़ावा था नोटबंदी, नोटबंदी हो गई, भाई, आपके पास एक ही विकल्प बचा था,तो इसने UPI को फैलाने के लिए एक और बढ़ावा दिया, सरकार ने क्या दिलचस्प बात कही, वे हम पर भरोसा करेंगे, पता नहीं  पहले नहीं कैसा है पूर्व भाई पुरी ब्यूरो,उन्होंने निजी कंपनी को कम कर दिया है कि आप यूपीआई में सहज हैं, लोगों को टेंशन नहीं है, सबसे पहले लोगों को फोन किया कल तेज सितंबर 2017 में आया, क्या आपने तेज नाम सुना है  ,जिसका नाम बादल है उसको आपने लिया होगा, अब वो गूगल पर जीपी बन गया है, उसे गूगल से कहा, तुम मुझे कम में ले जाओ, अब गूगल इतनी बड़ी कंपनी है, दुनिया भर से पैसे की मार्केटिंग की जाती थी  ढेर सारे ढाबे खोलकर, इसलिए UPI फेल हो गया.17 नवंबर को पेटीएम ने कहा, मैं भी लूंगा भाई, आप भी ले लीजिए, तो यूपीआई ने साड़ी कंपनियों की सहूलियत के लिए क्या किया?  पहले सरकार प्रचार करती थी, अब ये साड़ी कंपनियाँ दूध का प्रचार कर रही हैं, करना आसान है, मुफ़्त है और यह विफल नहीं है,इसके प्रसार की सीमा देखिए, दिल्ली में UPI के 22 करोड़ लेनदेन हैं और यह है  स्थायी, जो इसका सकल बाजार मूल्य है।  10 लाख करोड़ से ऊपर की बात है, कुछ ऐसा भी है, यूपीआई फेल हो गया, फेल हो गया, फूल गया, मजा आ गया, लेकिन हम अपने पोर्टफोलियो के साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं, पहले यूपीआई की तरह, हमारा पैसा कैसा है  पहले भाई, फिर भैया, अब सुनो, यह तुम्हारी नहीं है।कोई ट्रेडिंग के लिए आ रहा है, कोई इन्वेस्टमेंट के लिए आ रहा है और शेर बाजार गा रहे हैं, जो जादू है, भैया कुछ ऐसा करेंगे, भाग्य काम करे, होना चाहिए,


अब आप बोलेंगे,

 यूपीआई लॉन्च करते हैं। हम इसे कम में ले रहे हैं, अमेरिका बैठे-बैठे क्यों भाग रहा है, इसका कारण पढिए ,

अमेरिका शुरू से ही वित्तीय दुनिया का बादशाह रहा है, यह आप सभी जानते हैं क्योंकि इसके पास

ई-डॉलर है, जिसका बॉक्स अच्छा है, कई हैं  स्विफ्ट टेक्नोलॉजी जैसी तकनीकें, यह इसका

अंतरराष्ट्रीय भुगतान है यदि आप इसे करना चाहते हैं तो भी यह अभी भी कम से कम है, तो हमेशा वित्तीय नीति के बारे में बात करें, चाहे आप आईटी या प्रौद्योगिकी की बात करें, यह हमेशा प्रभावी रहा है, अब यह है  यही कारण है कि कल भारत जैसे विकासशील देश का जन्म हुआ।  हाँ, यह देश ऐसी तकनीक लेकर आया है जो हमारे पास भी नहीं है और आसानी से आ गई है,कुछ भी हो, आराम से लाई है, लेकिन भारत अब माँ नहीं रहा, उसने कम नहीं किया, उसने नहीं किया  NPCI International Payment Limited को कम किया और क्या है इस कंपनी का मकसद इस कंपनी का मकसद UPI सिस्टम को पूरी दुनिया में लागू करना है, सबसे पहले भूटान ने एक वाक्य दिया है, इसे भूटान में लागू किया जा रहा है, इसे दुबई में लागू किया जा रहा है  सिंगापुर में इसे लागू किया जा रहा है और 10 अन्य देशों ने भी अपनी इच्छा जताई है।  वह देश भी ज्यादातर एशिया का है, मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम,ये सभी कंपनियां, आप ध्यान दें कि अब अमेरिका हमें प्रवेश नहीं देगा,


यूरोप में भी प्रवेश करना आसान हो जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे हमें एशियाई देशों में दिलचस्पी हो गई है।  देशों, जापान ने भी रुचि दिखाई है।  दिखाया और सबसे महत्वपूर्ण बात जो सबसे दिलचस्प बात है, फ्रांस ने भी इंटर फ्रांस ने दिलचस्पी दिखाई है, वो समझौता हो गया है और वहां लागू हो गया है, फिर हमें यूरोपीय संघ के मंत्री मिलेंगे और फिर हम वहां प्रवेश करेंगे, अमेरिका इसे अनुमति नहीं देगा  आसानी से घुस जाओ, लेकिन यूपीआई का बोलबाला हो गया है,तुम इसके दीवाने हो।  मां लो कि गूगल ने उस सरकार को पत्र लिखा और कहा कि यूपीआई क्या मस्त सिस्टम है यार अपना भी करो करो गूगल अमेरिका के लिए काम कर रहा है, भारत से सीखो, इससे क्या फायदा होगा, मांन लो, फ्रांस ने मान लिया और  अगली बार जब आप फ्रांस जाएं, पेरिस जाएं, वहां आपको अपना ई कन्वर्ट करने की जरूरत नहीं है और आपको फॉरेक्स कार्ड ले जाने की जरूरत नहीं है, आप सीधे मोबाइल लेकर ऐसी ट्रांजैक्शन ग्रुप ब्रांच में बैठ सकते हैं, इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा  .


सर, करेंसी नोटों की छपाई और रख-रखाव पर एक साल में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च क्यों?  ए इसलिए जाता है कि नोट में क्या होता है, कई बार नोट फट गया, कई बार नोट पर गाल हो गए या नोट पर किसी ने लिख दिया सनम गुप्ता बेवफा है, तो नोट खराब हो जाता है, भाई इन नोटों को बदलने में कई साल लग जाते हैं।अगर यूपीआई हो गया तो इन नोटों की छपाई कम हो जाएगी, फिर कास्टिंग बच जाएगी, फिर वह कास्टिंग कम हो जाएगी, जो तकनीक के विकास में है।  अब आप कहेंगे सर, Visa और MasterCard क्यों जुड़े हुए हैं, यह तो समझ में आता है कि अमेरिका की सरकार के लिए सम्मान की बात हो गई है कि भयानक मास्टर कार्ड जुड़ा हुआ है, इसलिए मैं आपको पुराने दिनों में ले गया हूँ।  नए एटीएम खुलने लगे, अगर आपके पास आईसीसी बैंक का एटीएम है, तो भाई, आपको आईसीसी एटीएम जाना होगा, वहां से आप पैसे निकाल सकते हैं, आप एचडीएफसी से नहीं निकाल सकते, ऐसा क्यों होता था, आईसीसी एक होने जा रहा है  एचडीएफसी भाई से लड़ो।  कॉम्पिटिशन आ रहा है,आप टेंशन मत लीजिए, हम आपका सपोर्ट करते हैं, आप हमें थोडा चार्ज दीजिए, आप हमें थोडा पैसा दीजिए, हम आपको यह सुविधा देंगे कि हम पेमेंट वेरिफाई करेंगे और हम पेमेंट कर देंगे, इसलिए हम  किसी भी कार्ड में जा सकते हैं इस चीज के लिए लोग जो पैसा कम में लेते हैं उसे MDR मर्चेंट डिस्काउंट रेट कहते हैं, यह 1% से लेकर 3% तक होता है, अगर आप शॉपिंग करते हैं, तो आप जो कहना चाहते हैं, भाई, दुकानदार से चार्ज लिया जाएगा,  कई बार दुकानदार ऊपर से पैसे ले लेता है,जो दुकानदार नहीं लेता।  चूंकि उनका 2% चार्ज खत्म हो गया है, तो यह एमडीआर यूपीआई में शून्य है, तो दुकानदार क्या कह रहा है, कार्ड से भुगतान न करें, यूपीआई को मार दें तो 2% खो जाएगा, फिर धीरे-धीरे वीजा और मास्टर कार्ड का प्रभुत्व है  घट रहा है और भारत में घटता तो ठीक है भैया हमने पूरी दुनिया में जाकर तैयारी की है तो इन दोनों को हमने यहां बनाया है, अब आप कहेंगे साहब ये आप पर निर्भर है,  तुमने बहुत सुविधायें की हैं।


मैं क्रेडिट कार्ड के साथ पहली सुविधा शुरू कर रहा हूं, अब तक ऐसी क्या बात है कि आपकी जो भी यूपीआई आईडी आपके डेबिट कार्ड से जुड़ी है, यानी आपके खाते में जो पैसा पड़ा है, वह उससे ट्रांसफर हो जाता है।  हां, इसके जरिए भुगतान होता है, क्रेडिट कार्ड का भुगतान अभी नहीं हुआ है,यह क्रेडिट कार्ड से भी होगा हां, यह यूपीआई लाइट है, आप बिना इंटरनेट के भी भुगतान कर सकते हैं, उन्होंने कहा, आप पैसे लेकर घर-घर कैसे जाते हैं  , यह कहता है कि यह यूपीआई लाइट है,आप इसमें ₹2000 रखें और आप 200-200 लेनदेन कर सकते हैं।  इसलिए मुझे इंटरनेट की भी जरूरत नहीं है। तीसरा फीचर जो लॉन्च किया गया वह था यूपीआई 123। एक गांव के आदमी ने कहा,मेरे पास फोन नहीं है, मैं यह कैसे कर सकता हूं?2020 से बहुत से लोग इसे कम नहीं ले रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ेगी, लोग कम मिलेंगे, ऐसा होता रहेगा।


अच्छा है, क्या बुरा नहीं है, क्या दिक्कत है जो हमने इस पहले स्ट्रक्चर के हिसाब से डेवलप किया था, ये नहीं कि हम यूपीआई में ये काम करेंगे, ये उससे कई गुना तेजी से फेल हुआ, इसलिए इस पर बहुत कुछ करना बाकी है  बुनियादी ढांचा।  और इसकी तकनीक को विकसित करने में UPI को सुचारू होने में कुछ और समय लगेगा।ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बैंकों को करी का लाभ नहीं मिल रहा है,सबसे पहले कहानी या किस्सा क्या है?  कुछ मिलता है तो प्रचार में अच्छा लगता है कि फैलाओगे तो कमाओगे, अब बैंक के पास नहीं हो रहा, जीरो परसेंट एचडी हो गया, कुछ मिलता है तो क्यों खोलो  अब इसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।  अगर इस पर एक छोटा सा फीचर डाला गया है 10-20 की कमाई या सरकार ने कोई जुगाड़ बनाया है तो देखिए रॉकेट कैसे बंटा हुआ है तो वो यूपीआई का था।